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संकल्प बना छलावा! विधायक भावना बोहरा ने निज ग्राम रणवीरपुर को दी उप तहसील की सौगात, वादे के बावजूद पांडातराई फिर उपेक्षित” योगेश्वर चंद्राकर कांग्रेस नेता

पंडरिया। भारतीय जनता पार्टी द्वारा 06 जुलाई 2025 को पंडरिया में आयोजित भव्य कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने करोड़ों की विकास योजनाओं का ऐलान किया, तो लगा कि क्षेत्रवासियों के लिए यह ऐतिहासिक दिन साबित होगा। विधायक भावना बोहरा द्वारा घोषित नि:शुल्क छात्रा बस सेवा और ढेरों अधोसंरचनात्मक योजनाएं निश्चित रूप से सराहनीय थीं, परंतु जब नवीन उप तहसील की घोषणा के लिए पांडातराई के स्थान पर रणवीरपुर का नाम लिया गया — तो जनता की उम्मीदें एक झटके में टूट गईं।

योगेश्वर चंद्राकर युवा कांग्रेस नेता

गौरतलब है कि भाजपा के पंडरिया विधानसभा संकल्प पत्र में पांडातराई को उप तहसील बनाने का स्पष्ट उल्लेख था, जबकि रणवीरपुर का नाम दूर-दूर तक नहीं था। ऐसे में जब मुख्यमंत्री ने रणवीरपुर को उप तहसील बनाए जाने की घोषणा की, तो पांडातराई नगर पंचायत के लोगों ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि यह घोषणा विधायक भावना बोहरा की निज ग्राम रणवीरपुर को लाभ पहुंचाने की सोची-समझी रणनीति है। जनता का कहना है –
“विकास की वर्षों से बाट जोह रहे पांडातराई को संकल्प पत्र में तो उप तहसील लिखा गया, लेकिन व्यवहार में उसे भुला दिया गया। यह संकल्प नहीं, एक साफ़ छल है!”

जनता का आक्रोश यहीं नहीं थमा। नगर में जगह-जगह लोग चर्चा करते दिखे कि
“भावना जी ने पांडातराई के साथ छल किया है — वोट हमारे, सौगात उनके!”

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने नालंदा परिसर व ऑडिटोरियम, नवीन पालिका भवन, व्यावसायिक भवन निर्माण, बिसेसरा नाला से हरिनाला तक सड़क चौड़ीकरण, कुण्डा महाविद्यालय व अस्पताल विस्तार, बिरेन्द्र नगर में नवीन महाविद्यालय, और कुल ₹72.73 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों का लोकार्पण व भूमिपूजन किया।
साथ ही स्वामी आत्मानंद विद्यालय परिसर से छात्राओं हेतु विधायक भावना बोहरा द्वारा संचालित पांच नि:शुल्क बसों का वर्चुअल लोकार्पण भी हुआ।

इन तमाम घोषणाओं के बीच पांडातराईवासियों का दर्द और उपेक्षा साफ दिखाई दी। आज यह कसक हर गली-मोहल्ले में सुनाई दे रही है —
“हमने विश्वास किया, उन्होंने राजनीति कर दी।”

अब यह देखना शेष है कि भाजपा नेतृत्व पांडातराई की इस नाराजगी को कैसे दूर करता है, या यह राजनीतिक विस्मृति का शिकार बन कर अगली चुनावी रैली तक भुला दी जाएगी।

मुकेश अवस्थी

प्रधान संपादक

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