कवर्धामध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़

चोरभट्टी में जनमन योजना का 11.69 लाख का आंगनबाड़ी भवन अधूरा; दरारें, घटिया निर्माण और कमीशन का खेल उजागर?

कवर्धा/बोड़ला। जनमन योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायत चोरभट्टी में 11 लाख 69 हजार रुपये की लागत से बना आंगनबाड़ी भवन एक साल बाद भी अधूरा पड़ा है। दीवारों में दरारें, लेंटर में छड़ें दिखाई देना, निम्न स्तर की टाइल्स, अधूरी बिजली फिटिंग, शौचालय में निकासी व्यवस्था का अभाव—ये सब मिलकर निर्माण की गुणवत्ता और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं।

वर्तमान सरपंच ने उठाया घटिया निर्माण पर सवाल

वर्तमान सरपंच सुकलाल मेरावी ने पूर्व सरपंच के समय कराए गए निर्माण कार्य को अधूरा और बेहद घटिया बताते हुए कहा—

“नए भवन में जगह–जगह दरारें हैं।”
“लेंटर डालने के बाद नीचे पूरा सरिया दिखाई दे रहा था, जिसे जल्दबाज़ी में पुट्टी कर छिपाया गया।”
“टाइल्स का काम मानक के विपरीत है, कई जगह 1–2 इंच छोड़कर टाइल्स लगाई गई हैं।” उनके अनुसार यह साफ़ दिखता है कि निर्माण पूरा होने के बावजूद गुणवत्ता शून्य है।

इंजीनियर के मूल्यांकन पर उठे सवाल

सरपंच का कहना है की “ऐसी स्थिति में इंजीनियर ने भवन को पास कैसे कर दिया?” सचिव से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा—

“मूल्यांकन किस आधार पर हुआ, यह इंजीनियर राहुल गंगवार ही बता सकते हैं।”

लेकिन इंजीनियर से संपर्क करने पर उनका फोन बंद मिला, जिससे संदेह और गहरा गया है। जब घंटी गई तो कॉल रिसीव नही किया गया और ना ही कॉल बैक किया गया

पूर्व सरपंच के पति ने उल्टा दावा किया—

“काम पूरी तरह सही है, अगर गलत होता तो इंजीनियर मूल्यांकन क्यों करता?”

इस बयान ने पूरी प्रक्रिया को और संदेहास्पद बना दिया है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने खोले निर्माण की पोल

आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता देवबती धुर्वे ने साफ कहा—

भवन बना है पर पूरा नहीं हुआ।

पानी टंकी लगी है पर पानी भरने की कोई व्यवस्था नहीं।

शौचालय तो बना है लेकिन निकासी की व्यवस्था नहीं, दरवाजा भी बंद नहीं होता।

बिजली फिटिंग पूरी तरह से अधूरी है।

उन्होंने सवाल उठाया—

“ऐसी स्थिति में बच्चों को इस भवन में कैसे ले जाएं?”
सूचना पटल पर भविष्य की तारीखें—बड़ा सवाल

भवन स्थल पर लगे सूचना पटल में निर्माण प्रारंभ तिथि 25 अगस्त 2024 और कार्य पूर्ण तिथि 25 दिसंबर 2024 दर्ज है, जबकि भवन का ढांचा एक वर्ष पहले ही तैयार हो चुका था।
यह विरोधाभास पूरी पारदर्शिता पर बड़ा प्रश्नचिह्न है। सूचना पटल पर चार माह में निर्माण पूरा करना दिखाया गया है जो भ्रामक प्रतीत लग रहा है

जनप्रतिनिधियों के बयान एक-दूसरे के विपरीत

वर्तमान सरपंच : निर्माण पूर्व सरपंच के कार्यकाल में हुआ, हमने सिर्फ़ शेष भुगतान किया।

पूर्व सरपंच : भवन पूरा बन चुका है, कोई कमी नहीं।

सचिव : “मुझे कुछ पता नहीं, इंजीनियर राहुल गंगवार ही बताएंगे।”

इंजिनियर मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉल ही रिसीव नही किये की क्या जवाब दे सभी ने इंजिनियर के मूल्यांकन पर ही सवाल खड़ा कर दिए

इन बयानों से स्पष्ट है कि जिम्मेदारी कोई लेने को तैयार नहीं।

स्थानीयों का आरोप—‘सारा खेल कमीशन का’ इंजिनियर का कॉल रिसीव ना करना कई सवालों को जन्म देता है की आखिर क्या मजबूरी है इंजिनियर राहुल गंगवार की वो फोन रिसीव कर जानकारी नही दे पा रहे है।

भवन की स्थिति और लागत को देखकर ग्रामीणों ने इसे भ्रष्टाचार का मामला बताते हुए जांच की मांग की है।
इंजीनियर का फोन बंद मिलना और विभागीय अधिकारियों द्वारा स्थिति स्पष्ट न करना इस आशंका को और मजबूत करता है।

बच्चे अब भी पुराने जुगाड़ वाले केंद्र में पढ़ने को मजबूर

नया भवन अधूरा होने से बच्चों को आज भी पुराने, जर्जर और असुविधाजनक ‘जुगाड़’ केंद्र में ही रहना पड़ रहा है।

जांच और कार्रवाई की मांग तेज

ग्रामीण व जनप्रतिनिधि मांग कर रहे हैं कि—

निर्माण कार्य की तकनीकी जांच हो

जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो भवन को जल्द पूरा कर बच्चों को सौंपा जाए

जनपद सी ई ओ आकाश सिंग ने निरिक्षण कर कार्य पूर्ण करवाने की बात कही

मुकेश अवस्थी

प्रधान संपादक

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