चिल्फी–रेंगाखार सड़क: विकास नहीं, भ्रष्टाचार का सड़क! चुनाव आते ही जागती है सरकार, फिर वही गड्ढे और धोखा

चिल्फी–रेंगाखार सड़क अब विकास का नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही, ठेकेदारों की मनमानी और नेताओं की खोखली घोषणाओं का प्रतीक बन चुकी है। वर्षों से यह सड़क हर चुनाव में नेताओं की जुबान पर रहती है, लेकिन मतदान खत्म होते ही यह मुद्दा फाइलों में दफन कर दिया जाता है।
आज हालत यह है कि ग्रामीणों और आदिवासियों को जान जोखिम में डालकर इस “कागजी सड़क” पर सफर करना पड़ रहा है, जबकि कागजों में करोड़ों की लागत से सड़क चमचमाती दिखाई जाती है।
घटिया निर्माण: गिट्टी ऊपर-ऊपर, नीचे भ्रष्टाचार

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि वर्तमान में हो रहे निर्माण कार्य में सिर्फ दिखावे के लिए गिट्टी बिछाकर खानापूर्ति की जा रही है।
घटिया किस्म का डामर
बिना पुरानी जर्जर सड़क हटाए ऊपर से डामर की परत
कुछ ही दिनों में उखड़ती सड़क
यह सब देखकर साफ है कि काम नहीं, खेल चल रहा है।
वन विभाग–PWD–प्रशासन: तीनों की खींचतान में पिसती जनता
ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क वर्षों से वन विभाग, लोक निर्माण विभाग और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी की भेंट चढ़ती रही है।
कभी अनुमति का बहाना, कभी कोर्ट-कचहरी का डर और कभी बजट की दुहाई—
लेकिन सच्चाई यह है कि फाइलें दौड़ती रहीं, सड़क नहीं बनी।
न जांच, न नियंत्रण—सीधा जनता की जान से खिलवाड़
न समय पर तकनीकी निरीक्षण
न गुणवत्ता की जांच
न जवाबदेही
परिणाम यह कि बरसात में यह सड़क मौत का रास्ता बन जाती है, जहां एंबुलेंस तक पहुंचने से पहले दम तोड़ देती है।

चुनावी हथियार बनाकर जानबूझकर बदहाल रखी गई सड़क?
ग्रामीणों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सड़क को जानबूझकर बदहाल रखा गया, ताकि हर चुनाव में इसे मुद्दा बनाकर वोट बटोरे जा सकें।
अब जब निर्माण हो भी रहा है, तो उसमें भी सरकारी खजाने की खुली लूट दिखाई दे रही है।
PWD के ई.ई. का गैर-जिम्मेदाराना रवैया
जब इस गंभीर मुद्दे पर PWD के कार्यपालन अभियंता रंजीत घटगे से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, तो उनका रवैया भी उतना ही गैर-जिम्मेदाराना रहा।
उन्होंने न तो स्थिति की जानकारी ली, न जवाब देना जरूरी समझा—
बस इतना कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “एसडीओ से बात करिए”, और व्हाट्सएप पर रोड का फोटो और वीडियो एस डी ओ को भेजने कहकर अपनी जिम्मेदारी से बचते नजर आए। PWD विभाग के कर्मचारी विभाग के लिए नही जैसे ठेकेदार के लिए कार्य कर रहे हो।
ग्रामीणों की दो टूक मांग
सड़क निर्माण की उच्चस्तरीय जांच
डामर और गिट्टी की लैब टेस्टिंग
वर्षों की लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कड़ी कार्रवाई
ग्रामीणों का कहना है कि अगर अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो चिल्फी–रेंगाखार सड़क आने वाले वर्षों तक केवल चुनावी वादों की सड़क बनकर ही रह जाएगी।




