बोड़ला नगर पंचायत का अजब–गजब कारनामा!

विश्व शौचालय दिवस आया तो बोड़ला नगर पंचायत को भी अचानक याद आ गया कि यहां शौचालय नाम की कोई चीज़ भी बनी है। महीनों से ताला झेलते-झेलते थक चुके शौचालय को एक दिन की आज़ादी मिली — झट से ताला खोला गया, झाड़ू–पोछा हुआ, फोटो–सेशन जैसा माहौल बना… और फिर क्या?
फिर से ताला ठोक दिया गया!
क्योंकि समारोह खत्म… जिम्मेदारी भी खत्म!
विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा स्वच्छता, सुरक्षित शौचालय और खुले में शौच मुक्त समाज के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए घोषित किया गया है।
बाजार में मौजूद सुलभ शौचालयों की हालत तो पूछो ही मत — “सुलभ” नाम है, पर उपलब्धता शून्य। दोनों पर ताले लटक रहे हैं मानो करोड़ों का खजाना छिपा हो। आम जनता तो बस दूर से ही इन “सजावटी शौचालयों” का नज़ारा ले सकती है।
और अब सुनिए सबसे ताज़ा उपलब्धि—
बोड़ला विश्राम गृह के पास एक और सर्व–सुविधायुक्त सुलभ शौचालय पंद्रह लाख अस्सी हजार रूपये की लागत से तैयार किया जा रहा है।
वैसे सुविधाएँ अंदर होंगी या ताला बाहर? यह तो उद्घाटन वाले दिन फोटो देखकर ही पता चलेगा!
नगर पंचायत का मंत्र शायद यही है:
शौचालय बनाओ, ताला लगाओ, और विश्व शौचालय दिवस पर झाड़ू चलाओ! आम नागरिकों का कहना ऐसा शौचालय दिवस किस काम का की आम जनता की सुविधा के लिए बने शौचालय का उपयोग जनता नही कर पा रही है




